भगवान राम की लीला कथा अनेक भाषाओं और नामों में मौजूद है। इनमें कई अलग तरह की रोचक कथाएं भी मौजूद हैं। आनंद रामायण में एक बड़ी ही रोचक कथा रावण और मंदोदरी की मिलती है। हनुमानजी की चाल में फंसकर रावण का ऐसा हाल हुआ कि उसने अपनी पत्नी मंदोदरी से कहा कि उसके सिर पर एक लात मारे। आइए जानें यह सब कैसे हुआ।

मेघनाद से युद्ध के दौरान शक्ति बाण लगने से लक्ष्मण मूर्छित हो गए। लंका के वैद्यराज सुषेण बोलते हैं कि लक्ष्मण का उपचार काफी जटिल है अगली सुबह तक द्रोणागिरी पर्वत से संजीवनी बूटी लाकर पिलाने के बाद ही लक्ष्मण के प्राण बच सकते हैं। ये सुनकर पवनसुत हनुमान बूटी लाने चल देते हैं।

चूंकि हनुमानजी को बूटी के बारे में जानकारी नहीं थी इसलिए वह पूरा द्रोणागिरी पर्वत ही उखाड़ ले आते हैं लेकिन समस्या यह थी कि वह पूरा पर्वत कहां रखें इसलिए वह रणभूमि पर चक्कर लगा रहे थे।

राजवैद्य सुषेण ने उन्हें पर्वत रखने का सही स्थान बताया और वैद्यराज ने पहाड़ पर चढ़कर जड़ी-बूटी खोज ली लेकिन अभी भी जड़ी बूटी का रस बनाने के लिए वैद्य को दिव्य खल और मूसल चाहिए था जिसे रावण ने अपने आंतरिक कक्ष में रखा हुआ था। यह सुनते ही हनुमान रावण के निवास की ओर प्रस्थान करते हैं।

रावण को पता था कि सुषेण को खल और मूसल की जरूरत पड़ेगी इसलिए उसने उसको अपनी शैय्या के समीप ही रखा हुआ था। जब हनुमान वहां पहुंचे तो उन्होंने देखा कि मंदोदरी रावण के पास सो रही है। हनुमान ने रावण का ध्यान भंग करने के लिए उसकी शैय्या के नीचे जाकर रावण के केशों को पलंग के डंडे से बांध दिया और मूसल-खल को उठाकर द्वार की ओर भागने लगे।

हनुमानजी को देख रावण हड़बड़ाकर उठना चाहा लेकिन उसके बाल पलंग से बंधे होने के कारण वह असफल रहा। कई बार रावण अपने बाल की गांठ को खोलने का प्रयास करता रहा लेकिन बाल और उलझ जाते हैं। दरअसल हनुमानजी ने अपनी शक्ति का प्रयोग करके कुछ ऐसा जादू किया था कि जब तक मंदोदरी द्वारा रावण के सिर पर लात नहीं पड़ेगी तब तक वह गांठ नहीं खुल सकती थी।

रावण हनुमान को रोकने के लिए अपनी पत्नी को जगाने लगा यह सब देखकर हनुमानजी हंस रहे थे। रावण ने अपने शीष को मंदोदरी के सामने झुकाया और सिर पर लात मारने के लिए प्रार्थना करने लगा। इस तरह रावण को अपनी ही पत्नी के द्वारा लात खानी पड़ी और फिर वह पलंग से उठने में सफल हुआ। हालांकि तब तक हनुमान खल-मूसल लेकर निकल गए।