• जहाँ कुंडली में स्व उच्च राशि(सिंह,मेष) और शुभ भाव में स्थित बलि सूर्य व्यक्ति व्यक्ति को आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति से परिपूर्ण बनाता है वहीँ जिन लोगो की कुंडली में सूर्य नीच राशि(तुला) में हो,राहु से पीड़ित हो।
  • आठवें भाव में स्थित हो,डिग्री में बहुत कमजोर हो या अन्य किसी प्रकार से पीड़ित या कमजोर हो तो ऐसे व्यक्ति में आत्मविश्वास की बहुत कमी होती है साथ ही किसी भी कार्य को करने के लिए ऐसे व्यक्ति की इच्छाशक्ति भी क्षीण होती है।

  • कमजोर सूर्य वाला व्यक्ति प्रतिभावान होने पर भी लोगों के सामने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन नहीं कर पाता।
  • जिन युवाओं की कुंडली में सूर्य कमजोर होता है उन्हें इंटरव्यू आदि फेस करने में बहुत घबराहट होती है और कॉन्फिडेंस की कमी के कारण अच्छी नॉलेज होने पर भी अच्छा प्रदर्शन नहीं हो पाता।
  • सूर्य कमजोर होने पर व्यक्ति में आंतरिक सकारात्मक ऊर्जाएं भी क्षीण होती है तथा विल–पावर की कमी व्यक्ति की उन्नति में भी बाधक बनती है।
  • अतः ऐसे व्यक्तियों के लिए सूर्योपासना रामबाण का कार्य करती है!!

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